Bhaktimala ke 108 moti .......price- 3 Rs/-

इस पुस्तक के कुछ अंश ...

1. चाहे तुम कैसे भी हो लेकिन तुम्हें भगवान ने बनाया है और तुम भगवान की पसंद हो यह बात बिल्कुल पक्की है ।

2. तुम्हें भगवान ने चाहा है तभी पैदा किया है इसलिए तुम उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करो और भगवान का भजन करो जिससे वे प्रसन्न हों । वे अपना सर्वस्व तुम्हें देने को इच्छुक हैं ।

3. हमें यह पता नहीं कि भगवान कैसे हैं किन्तु यह पता है कि भगवान हैं जरूर क्योंकि वे न होते तो हम भी न होते । हमारा जीवित रहना उनके होनेपन को सिद्ध करता है । कैसे हैं ? यह बाद की बात है, किन्तु यह सत्य है कि वे हैं । इसलिए उनका स्मरण, उनका वंदन, उनकी भक्ति, उनका भजन हम करें जिससे यह पता चले कि वे कैसे हैं ? चाहे पता चलाने में वर्षों लग जाये लेकिन भगवान कैसे हैं ? यह पता चलना ही चाहिए । यह बात ठानकर उनका भजन हम करते रहे तो एक दिन पता जरूर चल ही जायेगा फिर सिवा आनंद के और सुख के बाकी कुछ न बचेगा । हम दृढ़ निश्चय कर लें कि मेरे जीवन का मुख्य लक्ष्य है - खोज करना कि भगवान कैसे हैं ? बस इतना ही काफी है, सारे शास्त्रों का निचोड़ यही है - ऐसा मैं मानता हूँ । भगवान कैसे हैं ? बस इतना ही सोचते रहे तो भजन करना न पड़ेगा; अपने आप ही होता रहेगा । बिना परिश्रम कितना सरल है ! आजमाकर देखो, निहाल हो जाओगे, भगवान को पा जाओगे ।

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