sakshatkaar ki raah .... price- 12 Rs/-

इस पुस्तक के कुछ अंश ...



साक्षात्कार की राह
जिसे अपनी आत्मा में दृढ़ धारणा है और संसार नीरस भासता है – वह पूजनीय, वंदनीय हो जाता है |
संसार से वैराग्य, संतों की संगति, आत्मा में प्रीति – जिसको मिली वह तो तरा, दूसरों को तारने का सामर्थ्य भी पाया |
परिच्छिनता मिटते ही महासुख की प्राप्ति होती है |
आत्मा में दृढ़ अभ्यास और संसार से वैराग्य होते ही स्वभाव सत्ता प्रगट हो जाती है |
ईश्वर दूर नहीं, भेद नहीं | अनुभवस्वरुप, ज्योति, परम बोधस्वरुप है |
जहाँ अज्ञान ही आनंद है, वहाँ बुद्धिमान बनना नादानी है |
‘सत्यं ज्ञानं अनन्तं ब्रह्म’ – ब्रह्म सत्यस्वरूप, ज्ञान स्वरुप और अनंत है तथा मेरा ही स्वरुप है, ऐसा साक्षात्कार हो जाएगा |
विचाररूपी मित्र का परिवार है – स्नान, दान, तपस्या, ध्यान |

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