nindkon par krupa ... price-3 Rs/-
इस पुस्तक के कुछ अंश ...
निंदकों पर कृपा कीजिए
मेरी निंदा से यदि किसीको संतोष होता है तो बिना
प्रयत्न के ही उन पर मेरी कृपा हुई, क्योंकि कल्याण चाहनेवाले पुरुष तो दूसरों के
संतोष के लिए बड़े कष्ट से कमाया हुआ धन भी त्याग दिया करते हैं |
निंदा करना या सुनना यह दोनों ही बुद्धिमानों के
लिए त्याज्य है |
अपने निंदक को अपने आँगन में मकान बनवाकर सदैव
पास में रखें क्योंकि वह बिना साबुन-पानी के ही (निंदा कर-कर के) आपका स्वाभाव
सुधारता रहेगा (सावधान करता रहेगा) |
अपने निंदक को दूर न करो, बल्कि उसका आदर-सत्कार
करो | वह आपके आचरणों के विषय में और-का-और ही बक-बक कर, आपके तन-मन वचन को शुद्ध
करेगा |
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