sankirtan taaliyoga .... price-2Rs/-
इस पुस्तक के कुछ अंश ...
संकीर्तन-तालीयोग
v हिन्दू शास्त्रों में संकीर्तन की बड़ी भारी महिमा का वर्णन किया गया है । जो
भगवन्नाम संकीर्तन करता है, उसे फिर और कोई पूजा-पाठ की विधियाँ करने की आवश्यकता
नहीं होती । भगवान का नाम लेना तो इतना सहज है कि उसके लिए मनुष्य को न ही पैसों
की जरूरत होती है और न ही किसी अन्य वस्तुओं की ।
v विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो
हाथ की हथेलियों में शरीर के सभी नाडीतंत्र के बिन्दू होते हैं । संकीर्तन में भगवन्नाम के साथ ताली बजाने से जब इन बिंदुओं पर बार-बार दबाव पड़ता है, तो सभी नस-नाड़ियाँ
ऊर्जा पाकर अपना काम सुचारू रूप से करते हैं, जिससे एक्यूप्रेशर
थेरपी सहज में हो जाती है ।
v प्रतिदिन यदि नियमित रूप से कम से कम 1 या 2 मिनट संकीर्तन-तालीयोग किया जाए, तो
किसी प्रकार के व्यायाम या आसनों की जरूरत नहीं रहती । लगातार ताली बजाने से मानव
शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति की वृद्घि होती है, जिससे शरीर रोगों के आक्रमण से
बचने की क्षमता प्राप्त कर लेता है ।
v संकीर्तन-ताली प्रयोग से काँचबिंदु (GLUCOMA)
जैसी आँखों की बिमारियाँ भी दूर होती हैं ।
v ताली बजाकर भगवन्नाम संकीर्तन करने से वातावरण में फैले कीटाणु नष्ट होते हैं,
जिससे पर्यावरण शुद्ध होता है ।
Comments