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Showing posts from June 12, 2018

શાંતિ મહારસ .... price- 7 Rs/-

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इस पुस्तक के कुछ अंश ... શાંતિ મહારાસ સુખ દરિયા શાંતિ ના સાગરમાં તૂ ફરી-ફરીને ડુબકી માર, મારી-મારીને ફરીથી માર, કેમ વચ્ચે મજધાર માં અટક્યો છે. દુ:ખની   અગ્નિમાં બળે છે. વગર આગ નો બળે છે. સુખની માટે ન જાણે શું-શું નથી કરતો, ચિંતા, ભય ને ભારે આમ-તેમ ભટક્યા કરે છે. નારાયણ કહે છે કેમ ડરે છે તૂ ભાઈ ? આવી જા મારી પાસે, કરી દે બધી ચિંતાઓનો નાશ, સુખ શાંતિનો દરિયા તારી અંદરજ છુપાયેલું છે. કેમ થાય છે તૂ ઉદાસ, ઈશ્વરની કૃપા પર આશા રાખ. અગર શાંતિની પ્યાસ છે, તો કરી લે સાંઈમાં વાસ. સાંઈ છે તારા રખેવાળ જે તારા દિલ માં વાસ કરે છે.

sai jivan gatha...

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इस पुस्तक के कुछ अंश... साँईं जीवन गाथा भगवान श्री नारायण प्रेम साँईं प्राचीन ऋषि-मुनियों के समय से सिद्धों की शक्ति गुरु द्वारा शिष्य को प्राप्त होती रही है और इसी प्रकार कृपा की एक अखंड श्रृंखला एक सद्गुरु से दूसरे सद्गुरु को जोड़ती रहती है | इस सद्गुरु परंपरा में सद्गुरुनाथ भगवान श्री श्री नारायण प्रेम साँईं की अनंत व असीम कृपा रसधारा इस युग के जीवों पर बरस रही है व अनेकानेक जीवों को शाश्वत अमृत आनंदरस से तृप्त कर रही है | आप भी इस रसामृत का पान कर अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं | -     विश्व साँईं परिवार अनेक अन्तर्विरोधों से घिरे हुए आज के युग में समन्वयता की सबसे अधिक आवश्यकता है | समन्वय के बल पर ही संस्कृतियों का विकास होता है | जिस संस्कृति में जितनी समन्वयात्मक शक्ति होगी वह उतनी ही समृद्ध और प्रगतिशील बनी रहेगी | वास्तव में भारतीय संस्कृति का बीजमंत्र ही समन्वय है | समन्वय के ताने-बाने से बुने इस संस्कृति पट पर हम जितने विविध रंग चढ़ाते जाएँगे, इसका निखार उतना ही बढ़ता जाएगा | सबमें अपने आपको देखना और अपने में सबको पाना ही तो विचारों की उदात्तता

aatmahtya mahapaap .... price-8 Rs/-

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इस पुस्तक के कुछ अंश ... मत करो अपना घात - १ मत करो अपना घात आत्महत्या महापाप... दिव्य जीवन सूत्र भगवान श्री श्री नारायण प्रेम साँईं प्रकाशक आनंद निकेतन साँईं सेवा समिति मत करो अपना घात - २ आत्महत्या जघन्य अपराध है | ईश्वर के अरमानों को चकनाचूर करने का नाम है आत्महत्या | आत्महत्या करने पर उतारू हुए दुःख-शोक, चिंता व भय में डूबे हुए व्यक्ति आत्महत्या न करके इस पुस्तक का बार-बार अध्ययन मनन व अवलोकन करें अथवा एक बार मुझसे अवश्य मिलें | आपकी कष्टकारक व्यथाओं का अंत करके आपको अनंत परमेश्वर का रस प्रदान करने की हमारी इच्छा आपको आत्महत्या के पाप से बचाकर परमेश्वर के द्वार तक पहुँचा सकती है...

ના કરો પોતાનો ઘાત ... price-7 Rs/- ( गुजराती )

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इस पुस्तक के कुछ अंश ... આત્મહત્યા કરવા માટે તત્પર  થયેલ, દુઃખ-શોક-ચિંતા અને ભયમાં ડૂબેલ વ્યક્તિએ આત્મહત્યા ન કરી આ પુસ્તકનું વારંવાર અધ્યયન, મનન તેમજ અવલોકન કરવું અથવા એકવાર મને અવશ્ય મળવું. તમારી કષ્ટદાયક વ્યથાઓનો અંત કરીને તમને અનંત પરમેશ્વરનું રસ પ્રદાન કરવાની મારી ઈચ્છા તમને આત્મહત્યાના પાપમાંથી બચાવીને પરમેશ્વરના દ્વાર સુધી પહોંચાડી શકે છે... મારા દ્વાર ખખડાવો રોમાંચિત અનુભવો માટે. આત્મહત્યા કરીને નવા જીવનની શરૂઆત નહિ, આ જ જીવનમાં નવા જીવનની શરૂઆત માટે...

shanti maharas .... price-7 Rs/-

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इस पुस्तक के कुछ अंश ... शांति महारास सुख दरिया जब आप दुकान में बैठे हों, ऑफिस में बैठे हों, खेत, फैक्ट्री, रेलगाड़ी या मोटरगाड़ी में यात्रा कर रहे हों, तब बीच-बीच में कुछ समय निकालकर सोचें कि भगवान के प्रति प्रार्थना केवल अलग से करने के लिए ही नहीं है | हमारा जीवन ही प्रार्थनामय, प्रभुमय हो जाए | इसके लिए हर कार्य में प्रभु का स्मरण करें | विपरीत परिस्थितियों में भी जो अपने मन को शांत रख पाता है, वह बहादुर है | अपने मन की न होने बावजूद जो अशांत नहीं होता, किसी भी वातावरण में पहुँचने पर भी जिसका चित्त उद्वेग को प्राप्त नहीं होता, वह बहादुर है | मन को शांत रखने की जिसने कला सीख ली वह बहादुर है |

sakshatkaar ki raah .... price- 12 Rs/-

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इस पुस्तक के कुछ अंश ... साक्षात्कार की राह जिसे अपनी आत्मा में दृढ़ धारणा है और संसार नीरस भासता है – वह पूजनीय, वंदनीय हो जाता है | संसार से वैराग्य, संतों की संगति, आत्मा में प्रीति – जिसको मिली वह तो तरा, दूसरों को तारने का सामर्थ्य भी पाया | परिच्छिनता मिटते ही महासुख की प्राप्ति होती है | आत्मा में दृढ़ अभ्यास और संसार से वैराग्य होते ही स्वभाव सत्ता प्रगट हो जाती है | ईश्वर दूर नहीं, भेद नहीं | अनुभवस्वरुप, ज्योति, परम बोधस्वरुप है | जहाँ अज्ञान ही आनंद है, वहाँ बुद्धिमान बनना नादानी है | ‘सत्यं ज्ञानं अनन्तं ब्रह्म’ – ब्रह्म सत्यस्वरूप, ज्ञान स्वरुप और अनंत है तथा मेरा ही स्वरुप है, ऐसा साक्षात्कार हो जाएगा | विचाररूपी मित्र का परिवार है – स्नान, दान, तपस्या, ध्यान |

sadguru krupecha prasad ... price- 5 Rs/- ( marathi)

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या पुस्तकाचे काही अंश ...  सद्गुरु कृपेचा प्रसाद “दिनेदिने नवम् नवम् प्रतिक्षणे वर्धमानं च |” स्वामीजी सूर्याप्रमाणे नित्य नूतन भासतात. त्यांच्या सान्निध्यात भक्तांना नित्य नविन आनंदाची प्राप्ती होते. स्वामींचे जीवन सर्वकला संपन्न आहे. सत्यच म्हटले आहे, “संत परम हितकारी”. भगवंत व भगवत्प्राप्त महापुरुषांचे जीवन अनंत सामर्थ्य, अनंत पराक्रम व अनंत सर्वहितकारी लीलांनी भरलेले आहे. सत्संग, सेवा व साधना हाच आध्यात्मिक उन्नतीचा खरा मार्ग आहे. त्याशिवाय इतर भौतिक उन्नती मनुष्याला पूर्ण सफल, पूर्ण सुखी व पूर्ण समाधानी बनवु शकत नाही.       

pujya saiji likhit .... price-10 Rs/-

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इस पुस्तक के कुछ अंश ... पूज्य साँईंजी हस्तलिखित पत्र इस पत्र को पढ़कर तुम स्वयं सोचो कि जो बात, जो मजा इस पत्र में है, वह बात मोबाइल cellular फोन में कहाँ ? इसको न जाने कितनी बार पढ़ लो, दोहरा लो और अपनत्व का एहसास कर लो ! तुम्हारे हाथ में है ! जो इसमें बात है – वह उसमें आ ही नहीं सकती ! यह पढ़ते वक्त जो फीलिंग्स तुम्हारे हृदयाकाश में पनप रही है, उभर रही है – वह फीलिंग्स क्या Calling में है ? असीम, अनंत विचारों की रफ्तार है – परंतु महत्त्वपूर्ण समाज उपयोगी विचारों के बीच तुम हो, अस्तित्व है तुम्हारा | एक होता है संबंध, दूसरा होता है ऋणानुबंध | संबंध बनाए जाते – निभाए जाते – प्रयत्नपूर्वक , न निभा पाने की स्थिति में टूटते हैं |

premgranth .... price- 10 Rs/- (only digital copy available)

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इस पुस्तक के कुछ अंश... प्रेमग्रंथ आतंक को फैलाने के लिए, जीवन लगा देनेवाले आतंकवादी... तो प्रेम को फैलाने के लिए, जीवन लगा देनेवाले प्रेमवादी !! तो – हाँ, मैं प्रेमवादी हूँ ! प्रेमवाद की शिक्षा देता हूँ | प्रेमवाद को फैलाता हूँ | प्रेमवाद से जुड़ा हूँ, प्रेमवाद को दुनिया में फैलाना चाहता हूँ | मैं अपील करता हूँ सबसे कि प्रेमवाद से जुड़ो... जिसमें मेरा प्रेम, मेरी संवेदनाएँ, भावनाएँ, मेरी सोच, मेरा दृष्टिकोण, मेरा मंतव्य, मेरी विचारधारा, मेरा खुला मन बिना पूर्वाग्रह के एकदम निष्कपट, निर्दोष अभिव्यक्त हुआ है |

ojaswi jivan ki orr.... price-5 Rs/-

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इस पुस्तक के कुछ अंश ... ओजस्वी जीवन की ओर आरोग्यता की सरल कुंजियाँ कान का दर्द – अदरक का रस कान में डालें अथवा शुद्ध सरसों या तिल के तेल में लहसुन की कलियाँ अथवा तुलसी के पत्ते डालकर धीमी आँच पर रखें | जल जाने पर छानकर इस तेल की १-२ बूंद सुबह-शाम कान में डालें | मंत्र विज्ञानं के प्रभावशाली प्रयोग स्वास्थय रक्षक मंत्र - ‘ॐ हंसं हंसः |’ रोज सुबह-शाम श्रद्धापूर्वक इस मंत्र का १०८ जप करने से शीघ्रता से आरोग्य लाभ होता है | अनिद्रा दूर करने का मंत्र – ‘ॐ शुद्धे शुद्धे महायोगिनी महानिद्रे स्वाहा |’ घर में सुख-शांति के लिए उपाय अगर घर में खटपट है तो परिवार के सभी सदस्य मिलकर एक-दूसरे से प्रसन्न, मुस्कुराते हुए सामूहिक फोटो निकालें और घर के दक्षिण में लगा दें | घर में खटपट कम हो जाएगी | घर में कलह निवारण हेतु शुक्रवार को शुद्ध जल में थोड़ी-सी शक्कर मिलाकर शिव को अर्पण करें तथा इत्र में ७ अगरबत्ती व देशी घी का दीपक जलाएँ | नशे की लत से मुक्ति के उपाय सर्वथा काली गाय का मूत्र ३ दिन पिलाने से फिर से शराब नहीं पी सकेगा | यदि पिएगा तो उल्टी हो जाएगी | ओजस्वी-तेजस्वी

nindkon par krupa ... price-3 Rs/-

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इस पुस्तक के कुछ अंश ... निंदकों पर कृपा कीजिए मेरी निंदा से यदि किसीको संतोष होता है तो बिना प्रयत्न के ही उन पर मेरी कृपा हुई, क्योंकि कल्याण चाहनेवाले पुरुष तो दूसरों के संतोष के लिए बड़े कष्ट से कमाया हुआ धन भी त्याग दिया करते हैं | निंदा करना या सुनना यह दोनों ही बुद्धिमानों के लिए त्याज्य है | अपने निंदक को अपने आँगन में मकान बनवाकर सदैव पास में रखें क्योंकि वह बिना साबुन-पानी के ही (निंदा कर-कर के) आपका स्वाभाव सुधारता रहेगा (सावधान करता रहेगा) | अपने निंदक को दूर न करो, बल्कि उसका आदर-सत्कार करो | वह आपके आचरणों के विषय में और-का-और ही बक-बक कर, आपके तन-मन वचन को शुद्ध करेगा |

ojaswi adhyatm.... price- 40 Rs/-

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इस पुस्तक के कुछ अंश ... 21 वीं सदी का रामराज्य - ‘ ओजस्वी अध्यात्म ’ 21 वीं सदी में रामराज्य की शुरुआत ‘ ओजस्वी अध्यात्म ’ से हो रही है जो सत्य , प्रेम , करुणा के त्रिकोण पर स्थापित हो रहा है ! सारे वर्णाश्रम के भेदों से ऊपर उठना है ! सारी विषमताओं का अंत करना है ! सारे वैर निवृत्त कर देना है ! पूरे विश्व में ‘ ओजस्वी अध्यात्म ’ को फैलाना है ! धर्म - धर्म के बीच की दीवारों से बाहर आने का समय परिपक्व हो गया है ! वंचितों , शोषितों , उपेक्षितों के उद्धार का , प्रत्येक मानव को संकीर्णता से उपर उठाने का मार्ग है ‘ ओजस्वी अध्यात्म ’ ! ओजस्वी अध्यात्म की वैदिक जीवनशैली को आस्तिक - नास्तिक , धार्मिक - अधार्मिक सभी अपना सकते हैं । विश्व के हर देश में किसी भी भाषा , कोई भी धर्म , किसी भी जाती के हर प्रकार के व्यक्ति ‘ ओजस्वी अध्यात्म ’ की वेदान्तिक जीवनशैली को आत्मसात् करके अपने जीवन को स्वस्थ , सुखी और सम्मानित बना सकते हैं । आइये , विश्व को आनंदमय बनाएँ । जीवन को सफल बनाएँ । स्वयं बदलें , दुनिया को बदलने के लिए । आज से अच्छा कल बनाएँ , वर्तमान से अच्छा भविष्य बनाएँ ।

nindkon par krupa.... price-3 Rs/- (गुजराती)

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इस पुस्तक के कुछ अंश ... નીન્દકો પર કૃપા કરો v   જેની નિંદા કરીએ છીએ, બની શકે છે એમાં કોઈ સદગુણ પણ હોય ! પરંતુ મોટે ભાગે ગુણો પર દ્રષ્ટિ ન જતા દોષો પર જાય છે, આંખનો દોષ જ સામેવાળી વ્યક્તિમાં દોષ દર્શન કરાવે છે, જેનાથી હૃદય કલુષિત (અપવિત્ર) થાય છે. v   જીવનમાં એવું વ્રત લઇ લો કે – નિંદા ન કરીશું ન સાંભળીશું. એ નિયમથી ઘણો લાભ થશે. મન-વચનથી શુદ્ધ રહેવાને કારણે વ્યવહાર પણ ઉત્તમ થશે. v   કોઈ એક જ માર્ગનો આગ્રહ રાખવાથી અને બીજા માર્ગોનો વિરોધ કરવાથી પૂર્ણતાની પ્રાપ્તિમાં બહુ વિઘ્ન આવે છે. બધામાં પૂર્ણરૂપ એક પરમાત્માને જોવું એ જ સત્સંગ (સત્યનો સંગ) છે. 

nindkanvar krupa... price-3 Rs/- (marathi)

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या पुस्तकाचे काही अंश ... भक्तीमालाचे १०८ मोती §   छिद्रान्वेषणरुपी कात्रीशी जेव्हा तुमची भेट घडेल तेव्हा तुम्ही त्वरितच आपल्या मनात डोकावून पहा की तेथे कसे-कसे भाव निर्माण होत आहेत ? §   सदैव लक्षात ठेवा, जेव्हा तुम्ही ईर्ष्या आणि द्वेष, छिद्रान्वेषण आणि दोषारोपण, घृणा आणि निंदेचे विचार एखाद्याकडे पाठवितात तेव्हा तसेच विचार तुमच्याकडे सुद्धा येतात. §   आपल्याला दुसऱ्यांच्या दृष्टीने मोठे श्रेष्ठ बनावेसे वाटते, आपली हीच इच्छा एक सामाजिक दोष आहे आणि सर्व धर्मांसाठी अभिशापरूप आहे.

mastur thus spok ... price-149 Rs/- (english)

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some points of this book... Master thus spoke Those people who know the art of converting adverse situations into favourable ones and realize God’s compassion in adversities too, they are like clouds. Just like clouds absorb oceans’ saline water and convert it into sweet water similarly such people alter their painful circumstances to pleasurable and beautifule ones. Those who aspire to achieve great heights need to prove their greatness and far-sightedness by adopting refined contemplation and ideal sense of duty. O, youth of India, rise ! Rise and devote yourself in spiritual tasks, welfare of others and for sake of your county. The time is not of slumber and laziness; your country  is looking up to you with expectations. Those who have divine vision would see divinity in everything but those who have evil vision, would see evil only, everywhere.

manaa sajjana... price- 7Rs/- ( marathi)

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इस पुस्तक के कुछ अंश  मना सज्जना §       तुम्ही कोण आहात ? हे तुम्हास माहित नाही. ज्या दिवशी, ज्या क्षणी हे तुम्हास माहित पडेल, त्याच दिवशी, त्याच क्षणी तुमच्या व ईश्वरामधील भेद नष्ट होईल. मी हे सांगत नाही की माझे म्हणणे ऐका परंतु मी हे सांगतो की माझे बोलणे अनुभवून पहा. §       तुमचे समर्पित जीवन ईश्वराप्रती तुमच्या भक्तीचे प्रतीक बनेल. §       ईश्वर तुमच्या मुक्तीसाठी स्वतः उपाय करतो, त्या उपायास विपत्ती समजण्याची चुक करू नका. §       तुम्हाला तुमच्याबदल जितके माहित आहे, ईश्वराला त्याहून कितीतरी अधिक माहित आहे हि गोष्ट कधीही विसरू नये.

sankirtan taaliyoga .... price-2Rs/-

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इस पुस्तक के कुछ अंश ... संकीर्तन-तालीयोग v हिन्दू शास्त्रों में संकीर्तन की बड़ी भारी महिमा का वर्णन किया गया है । जो भगवन्नाम संकीर्तन करता है, उसे फिर और कोई पूजा-पाठ की विधियाँ करने की आवश्यकता नहीं होती । भगवान का नाम लेना तो इतना सहज है कि उसके लिए मनुष्य को न ही पैसों की जरूरत होती है और न ही किसी अन्य वस्तुओं की । v विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो हाथ की हथेलियों में शरीर के सभी नाडीतंत्र के बिन्दू होते हैं । संकीर्तन में भगवन्नाम के साथ ताली बजाने से जब इन बिंदुओं पर बार-बार दबाव पड़ता है, तो सभी नस-नाड़ियाँ ऊर्जा पाकर अपना काम सुचारू रूप से करते हैं, जिससे एक्यूप्रेशर थेरपी सहज में हो जाती है । v   प्रतिदिन यदि नियमित रूप से कम से कम 1 या 2 मिनट संकीर्तन-तालीयोग किया जाए, तो किसी प्रकार के व्यायाम या आसनों की जरूरत नहीं रहती । लगातार ताली बजाने से मानव शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति की वृद्घि होती है, जिससे शरीर रोगों के आक्रमण से बचने की क्षमता प्राप्त कर लेता है । v संकीर्तन-ताली प्रयोग से काँचबिंदु ( GLUCOMA) जैसी आँखों की बिमारियाँ भी दूर होती हैं ।

kanoonon ke jangalraj me ...price-5 Rs/-

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इस पुस्तक के कुछ अंश ... कानून का जंगलराज हमारे देश की सारी व्यवस्थाएँ जिस प्रकार असफलताओं का दोषारोपण एक - दूसरे पर करती नजर आती है , क्या इनमें से किसी एक घटक ने भी कभी अपने कर्तव्यों के पालन पर गंभीर चिन्तन - मनन और क्रियान्वयन का विचार किया ? आम आदमी को अदालतों की चमक - दमक या वकीलों की शान देखने का कोई शौक नहीं है , लोगों को न्याय चाहिए , वह भी तुरन्त और सस्ता ! क्या हमारी व्यवस्थाएँ लोगों को शीघ्र और सस्ता न्याय कभी दे पायेंगी ? इसके लिए ठोस कदम सरकारें उठायेंगी ? आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा ? सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आर . एम . लोढा ने एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील से कहा कि न्याय में देरी का सारा दोष न्यायाधीशों पर लगाना उचित नहीं है । इसके लिए सरकार को उच्च न्यायालय स्तर पर न्यायाधीशों की संख्या बढानी पड़ेगी ।