sai jivan gatha...
इस पुस्तक के कुछ अंश...
साँईं जीवन गाथा
भगवान श्री नारायण
प्रेम साँईं
प्राचीन ऋषि-मुनियों के समय से सिद्धों की शक्ति
गुरु द्वारा शिष्य को प्राप्त होती रही है और इसी प्रकार कृपा की एक अखंड श्रृंखला
एक सद्गुरु से दूसरे सद्गुरु को जोड़ती रहती है | इस सद्गुरु परंपरा में सद्गुरुनाथ
भगवान श्री श्री नारायण प्रेम साँईं की अनंत व असीम कृपा रसधारा इस युग के जीवों
पर बरस रही है व अनेकानेक जीवों को शाश्वत अमृत आनंदरस से तृप्त कर रही है | आप भी
इस रसामृत का पान कर अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं |
- विश्व साँईं परिवार
अनेक अन्तर्विरोधों
से घिरे हुए आज के युग में समन्वयता की सबसे अधिक आवश्यकता है | समन्वय के बल पर
ही संस्कृतियों का विकास होता है | जिस संस्कृति में जितनी समन्वयात्मक शक्ति होगी
वह उतनी ही समृद्ध और प्रगतिशील बनी रहेगी | वास्तव में भारतीय संस्कृति का बीजमंत्र
ही समन्वय है | समन्वय के ताने-बाने से बुने इस संस्कृति पट पर हम जितने विविध रंग
चढ़ाते जाएँगे, इसका निखार उतना ही बढ़ता जाएगा |
सबमें अपने आपको
देखना और अपने में सबको पाना ही तो विचारों की उदात्तता और सबको एक में समेटने की
विराटता है |
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भगवान श्री नारायण प्रेम
साँईं
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