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इस पुस्तक के कुछ अंश ...

पूज्य साँईंजी हस्तलिखित पत्र
इस पत्र को पढ़कर तुम स्वयं सोचो कि जो बात, जो मजा इस पत्र में है, वह बात मोबाइल cellular फोन में कहाँ ? इसको न जाने कितनी बार पढ़ लो, दोहरा लो और अपनत्व का एहसास कर लो ! तुम्हारे हाथ में है ! जो इसमें बात है – वह उसमें आ ही नहीं सकती !
यह पढ़ते वक्त जो फीलिंग्स तुम्हारे हृदयाकाश में पनप रही है, उभर रही है – वह फीलिंग्स क्या Calling में है ?
असीम, अनंत विचारों की रफ्तार है – परंतु महत्त्वपूर्ण समाज उपयोगी विचारों के बीच तुम हो, अस्तित्व है तुम्हारा |
एक होता है संबंध, दूसरा होता है ऋणानुबंध | संबंध बनाए जाते – निभाए जाते – प्रयत्नपूर्वक, न निभा पाने की स्थिति में टूटते हैं |


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