jansankhya vruddhi - price-10 Rs/- ( only digital copy available )
पुस्तक के कुछ अंश ...
मनुष्य के पास केवल पेट ही नहीं होता, बल्कि दो
हाथ, दो पैर और एक मस्तिष्क भी होता है, जिनसे वह केवल अपना ही नहीं, बल्कि कई
प्राणियों का भरण-पोषण कर सकता है | फिर जनसंख्या वृद्धि की चिंता क्यों ?
उत्पादन तो बढ़ाना चाहते हैं पर उत्पादक शक्ति
(जनसंख्या) का ह्रास कर रहे हैं – यह कैसी बुद्धिमानी है ? एक-दो संतान होगी तो घर
का काम ही पूरा नहीं होगा, फिर समाज का काम कौन करेगा? खेती कौन करेगा ? सेना में
कौन भरती होगा ? सच्चा मार्ग बतानेवाला साधू कौन बनेगा ? बूढ़े माँ-बाप की सेवा कौन
करेगा ?
जन्म पर तो नियंत्रण, पर मौत पर नियंत्रण नहीं –
यह कैसी बुद्धिमानी ? जो मृत्यु पर नियंत्रण नहीं रख सकता, उसको जन्म पर भी
नियंत्रण रखने का अधिकार नहीं है |
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